पंडित जी हवन करते समय एक चम्मच घी आग में डालते और एक चम्मच घी अपने डिब्बे में डालते जा रहे थे।
पास बैठे एक व्यक्ति ने कहा, घृतम चोरम, घृतम चोरम
पंडित जी ने व्यक्ति की ओर देखकर चुप कराते हुआ कहा,
वत्स न कर शोरम, न कर शोरम।
आधा तोरम, आधा मोरम।।
ऊं स्वाहा।।
ऊषा, गाज़ियाबाद
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