Friday, February 12, 2016

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हंसी-मज़ाक February 13, 2016
इसरत को निशान-ए-पाकिस्तान

नीरज बधवार, नई दिल्ली

डेविड कोलमेन हेडली द्वारा इसरत जहां को लाश-करे-तौबा का आतंकी बताए जाने के बाद जेएमयू के कुछ छात्रों ने पाक सरकार से उसे निशान-ए-पाकिस्तान देने की मांग की है। सम्मान की मांग करते हुए झंडू-बामपंथी संगठन के 42 वर्षीय युवा छात्र नेता जलजला सिंह ने कहा कि अब जब हेडली चाचा ने ये साफ कर दिया है कि 'आपा' वाकई मुजाहिदीन थी, तो उन्हें उनका जायज़ हक मिलना चाहिए।

लिहाज़ा हम हमारे प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ साहब और लौह पुरुष श्री हाफिज़ सईद जी से मांग करते हैं कि वो इसरत आपा को निशान-ए-पाकिस्तान देकर उनकी शहादत को जायज़ सम्मान बख़्शें।

झंडू-बामपंथी संगठन के एक अन्य छात्र धुरंधर बेचैन ने कहा कि जब कुछ सिरफिरे लोग बार-बार ये कहते थे कि इसरत आतंकी नहीं थी तो हमें बड़ा बुरा लगता था क्योंकि वो हम सबकी आदर्श थीं।

लाख सोचने पर भी हमारा मन ये गवाही नहीं देता था कि आतंकी न होकर, हमारी आदर्श कभी हमें धोखा दे सकती हैं!

ऐसे में चाचा हेडली के इस खुलासे ने कि इसरत वाकई आतंकी थी, हमारी प्रेरणा, हमारी गुरु में हमारा भरोसा फिर से पैदा कर दिया है।

इस बीच डेविड कोलमेन हेडली के इसरत पर किए ताज़ा खुलासे के बाद रातों-रात उनकी लोकप्रियता फनी लियोनी से ज़्यादा बढ़ गई हैं। आलम ये है कि बीजेपी उन्हें आगामी यूपी चुनावों में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर विचार करने लगी है। कुछ अतिउत्साहित कार्यकर्ताओं ने तो 'हर हर हेडली, घर-घर हेडली' के नारे भी दे दिए हैं।

पार्टी में एक तबके का मानना है कि इन खुलासों ने हेडली ने विपक्षियों को इतना नुकसान पहुंचाया है जितना कुछ दिहाड़ी फेसबुक कार्यकर्ता फोटोशॉप में बनाई फर्ज़ी तस्वीरों से भी नहीं पहुंचा पाए थे।

वहीं इसरत को निशान-ए-पाकिस्तान दिए जाने की मांग पर बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार से जब उनकी प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने आंसू पौंछते हुए कहा कि एक पिता के लिए इससे ज़्यादा फक्र की बात और क्या हो सकती है कि उसकी बेटी को 7-8 लोगों का ऐसा भारी जनसमर्थन मिले। और ये पूरे बिहार के लिए फक्र की बात है, क्योंकि इसरत मेरी ही नहीं, पूरे बिहार की बेटी थी!

इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। यह मजाक है और किसी को आहत करना इसका मकसद नहीं है।
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