सुप्रीम कोर्ट द्वारा साल 2014 में दिए गए एक फैसले के बाद सीबीआई को संयुक्त सचिव या उससे वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केंद्र से पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं है। ऐसे में, मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में राजेंद्र कुमार के दफ्तर-घर पर छापा मारने के लिए CBI को केजरीवाल की अनुमति लेने की जरूरत नहीं थी।
राजेंद्र कुमार के खिलाफ भ्र्ष्टाचार के आरोप नए बिल्कुल नहीं हैं। शीला दीक्षित के कार्यकाल में भी वह भ्रष्टाचार के लिए खासा बदनाम थे। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं केजरीवाल ने उन्हें अपना प्रिसिंपल सेक्रटरी चुनने में कोई गलती तो नहीं कर दी?
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